पीएजीडी ने संयुक्त किसान मोर्चा के 16 फरवरी के ग्रामीण भारत बंद का किया समर्थन

किसानों की मांगें वास्तविक हैं और हम उन्हें अपना समर्थन दे रहे हैं

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 श्रीनगर । किसानों की मांगें न मानने पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा के 16 फरवरी को बुलाए गए ग्रामीण भारत बंद का समर्थन किया है।

 

पीएजीडी पांच राजनीतिक दलों नेशनल कॉन्फ्रेंसए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टीए सीपीआई (एमद्ध) सीपीएम और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एएनसी) का एक ग्रुप है, जिसका गठन वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली के लिए किया गया था। वरिष्ठ सीपीआई (एम) नेता एमवाई तारिगामी ने कहा कि एसकेएम के उनके चल रहे विरोध के लिए हमारे समर्थन की मांग के जवाब में पीएजीडी के नेतृत्व का विचार है कि किसानों की मांगें वास्तविक हैं और हम उन्हें अपना समर्थन दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्लाए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और एएनसी के उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह सहित नेतृत्व ने भी अपनी मांगों के समर्थन में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ एसकेएम के आहूत देशव्यापी हड़ताल को समर्थन देने का फैसला किया है। जिसमें उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य या ;एमएसपीद्ध की गारंटी देने वाला कानून भी शामिल है।

 

किसान मनरेगा को मजबूत करनाए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना और औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में सभी श्रमिकों के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं। प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए उनके खिलाफ बल प्रयोग करने के लिए सरकार पर बरसते हुए तारिगामी ने कहा कि सरकार का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण और तानाशाहीपूर्ण है।

 

उन्होंने कहा कि किसानों के प्रतिनिधियों के साथ उद्देश्यपूर्ण और सार्थक बातचीत करने के बजाय वे किसानोंए श्रमिकों और ट्रेड यूनियनों के बीच विभाजन पैदा करने का सहारा ले रहे हैं और उन्हें हटाने के लिए सत्तावादी उपायों और पुलिस बल का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए दावे पर्याप्त नहीं हैं।तारिगामी ने कहा कि और अधिक ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है और ट्रेड यूनियन और एसकेएम लंबे समय से यही मांग कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर अपने वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि विश्वसनीयता का अंतर है क्योंकि वह लोगों को विश्वास में लिए बिना कहती कुछ है और करती कुछ है।

उन्होंने कहा कि हमने केवल उत्पीड़नए अन्याय और झूठ देखा है और कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार चलाने वालों को लोगों को राहत देनी चाहिए और उनके दर्द को दूर करना चाहिए लेकिन हम देख रहे हैं कि वे केवल कॉर्पाेरेट पूंजीपतियों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या नहीं करना चाहते बल्कि बेहतर जीवन जीना चाहते हैं और सरकार देश के नागरिकों को ऐसे अवसर प्रदान करने के लिए बाध्य है।

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