किश्तवाड़ की पैरा-तीरंदाज शीतल देवी को बचपन की चुनौतियों ने दिलाया अर्जुन पुरस्कार

छोटी उम्र से ही काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा

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जम्मू,  । जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले की पैरा-तीरंदाज शीतल देवी को मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार मिला। फ़ोकोमेलिया बीमारी के साथ जन्मी शीतल को छोटी उम्र से ही काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फिर भी उनकी अदम्य भावना ने उन्हें उन गतिविधियों में उत्कृष्टता दिखाई, जो तीरंदाजी में उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण थी।

पेशेवर तीरंदाजी में शीतल का प्रवेश 2019 में किश्तवाड़ में भारतीय सेना की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के जरिये हुआ था। पूर्व तीरंदाज कुलदीप वेदवान की सलाह पर शीतल ने एक अनूठी तकनीक अपनाकर अपने कौशल को निखारा, जिसमें शूटिंग के लिए अपने पैरों का उपयोग करना शामिल था। इसके बाद शीतल 2023 में चेक गणराज्य में विश्व तीरंदाजी पैरा चौंपियनशिप में रजत पदक जीतकर यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज बन गईं।

उनकी सफलता एशियाई पैरा गेम्स 2023 में जारी रही, जहां उन्होंने व्यक्तिगत कंपाउंड और मिश्रित टीम स्पर्धाओं में स्वर्ण और महिला युगल में रजत सहित कई पदक जीते। इन जीतों ने शीतल के लिए पेरिस में 2024 में होने वाले पैरालंपिक खेलों में उनके लिए जगह भी सुरक्षित कर दी। उनकी उत्कृष्टता को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के माध्यम से मान्यता दी गई। उन्हें एशियाई पैरालंपिक समिति की ओर से वर्ष का सर्वश्रेष्ठ युवा एथलीट और विश्व तीरंदाजी में वर्ष का सर्वश्रेष्ठ महिला पैरा तीरंदाज नामित किया गया था। इसके अलावा शीतल ने 2023 में महिलाओं की कंपाउंड पैरा तीरंदाजी में नंबर एक रैंकिंग हासिल की थी।

 

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