श्रद्धालुओं से वसूली गई पंजीकरण राशि को लौटाया जाए. साहनी
पवित्र हिम शिवलिंग के अंतर्ध्यान होने से भोले बाबा के भक्तों में घोर निराशा
जम्मू । हिंदुओं के आस्था से जुडी वार्षिक श्री अमरनाथ जी यात्रा इस वर्ष 62 दिनों की रिकार्ड यात्रा अवधि की रखी गई थी और मात्र 27 दिनों में पवित्र हिम शिवलिंग के अंतर्ध्यान होने से भोले बाबा के भक्तों में घोर निराशा व भारी रोष व्याप्त है इससे भोले के भक्तों की आस्था आहत हुई हैं। सरकार ने हमारी तमाम आशंकाओं एवं अपीलों को नजरंदाज किया। यह कहना है शिवसेना यूबीटी जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रदेश प्रमुख मनीश साहनी का।
पार्टी प्रदेश कार्यालय में आयोजित रविवार को एक पत्रकारवार्ता में प्रदेश प्रमुख मनीश साहनी ने कहा कि 62 दिनों को रिकार्ड यात्रा अवधि का जमकर ढिंढोरा पीटा गया था मगर इस अवधि तक पवित्र हिमशिवलिंग को दर्शनों के लिए सुरक्षित रखने को लेकर कोई विशेष व्यवस्था तैयार नहीं की गई।
15 से 18 हजार की भारी संख्या में श्रद्धालुओं को रोजाना दर्शनों के लिए भेजा गया। वहीं पवित्र गुफा परिसर के करीब सुरक्षाकर्मियोंए अधिकारियों की भारी संख्या में तैनातीए घोड़ाए पिट्ठूए पालकी वालों की भी बड़ी मौजूदगी रही। जिसका खामियाजा अब श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ रहा है उन्हें पवित्र हिमशिवलिंग साक्षात् दर्शन का सौभाग्य नहीं मिल पा रहा है।
साहनी ने बताया कि शिवसेना द्वारा अनेकों बार पवित्र हिम शिवलिंग को यात्रा अवधि तक दर्शनों के लिए सुरक्षित रखने की गुहार लगाई गई। जम्मूण्कश्मीर के उपराज्यपाल जो कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चेयरमैन भी हैं को ज्ञापन भी सौंपा गया मगर पंजीकरण निःशुल्क बनाने से लेकर हिम शिवलिंग को सुरक्षित बनाए रखने की तमाम अपीलों को दरकिनार कर दिया गया।
साहनी ने कहा कि 2022 में और पहले भी पवित्र हिम शिवलिंग यात्रा अवधि से पूर्व अंतर्ध्यान हुए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने और तापमान बढ़ने से ऐसा होना लाजिमी है।
मगर शायद श्राइन बोर्ड पर राजस्व कमाने और रिकार्ड बनाने की धुन इस कदर हावी हो चुकी है कि बिना सोचे समझे 62 दिनों की यात्रा अवधि और रोजाना बड़ी तादाद में तीर्थयात्रियों को दर्शनों के लिए भेजा जाता रहा और किसी भी तरह के एहतियात नहीं बरती गई।
साहनी ने कहा कि हजारों रुपए खर्च कर देश के दूसरे राज्यों से आने श्रद्धालुओं में निराशा और मायूसी का आलम है उनकी धार्मिक आस्था पर सरकारी तंत्र की लापरवाहियों ने आघात किया हैं। साहनी ने कहा कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से पंजीकरण के नाम पर लिए गए 220 रुपयों की राशि सहित क्षमा मांगने के साथ श्रद्धालुओं द्वारा वहन किये गए खर्चे को लौटना चाहिए।