जनगणना, परिसीमन और केंद्र की भाजपा सरकार की राजनीतिक नौटंकी के बीच उलझा है 128वां संशोधन विधेयक 2023 : आम आदमी पार्टी
पंद्रह साल की सीमा क्यों शामिल की गई है
कठुआ । आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अप्पू सिंह ने कहा कि 128वें संविधान संशोधन विधेयकए जिसमें अनुच्छेद 239ए, में एक नया खंड जोड़ा गया है और अनुच्छेद 330ए, 332ए और 334ए शामिल किया गया है, ने आम आदमी की आकांक्षाओं को बल नहीं दिया है।
इसके अलावा उन्होंने केंद्र में भाजपा सरकार की गैर.गंभीरता को स्पष्ट करने के लिए 128वें संशोधन विधेयक के बारे में कुछ तथ्य उद्धृत किए। जिसमें राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों में महिलाओं के लिए आरक्षण का कोई खंड क्यों नहीं जोड़ा गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम महिलाओं को 128वें संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर क्यों रखा गया है। इसी प्रकार 2010 के बिल की तरह हीए मौजूदा बिल में भी एक सनसेट क्लॉज हैए जिसमें कहा गया है कि आरक्षण अधिनियम के शुरू होने की तारीख से पंद्रह साल की अवधि के लिए होगा। इसके अलावाए जमीनी स्तर पर सरकार से यह सवाल पूछना जरूरी है कि पंद्रह साल की सीमा क्यों शामिल की गई है। अप्पू के अनुसार यह बताना उचित होगा कि 42वें संशोधन ने 2000 के बाद पहली जनगणना के परिणाम प्रकाशित होने तक परिसीमन अभ्यास को रोक दिया था। इसके अलावाए 2001 ;84वें संशोधनद्ध में इसे 25 वर्षों के लिए और बढ़ा दिया गया। इसका मतलब है कि 2026 के बाद पहली जनगणना के नतीजे आने के बाद परिसीमन होगा। इसके अलावाए 91वां संशोधन यह स्पष्ट करता है कि 2026 तक कोई परिसीमन नहीं होगा। इसलिएए पहले जनगणना होगीए फिर परिसीमन और फिर शायद मोदी सरकार की इच्छा और इच्छा के अनुसार आरक्षण दिया जाएगा। आम आदमी पार्टी भारत में महिलाओं के हितों के लिए हमेशा खड़ी रहेगी और चाहेगी कि माननीय प्रधान मंत्री जनगणना और परिसीमन की बाधाओं को दूर करें और वर्ष 2024 सेए जब संसदीय चुनाव होंए भारत की महिलाओं को आरक्षण का उपहार दें।